इस साल आईपीएल की शुरुआत में हमने देखा कि कैसे आईपीएल नीलामी में भारतीय गेंदबाज हुए निराश. क्रुणाल पांड्या और दीपक हुड्डा वापस दोस्त बन गए। दोनों के बीच में घरेलू टूर्नामेंट में कुछ विवाद हुआ था जिसके बाद दीपक हुड्डा ने टीम छोड़ दी थी. आईपीएल में लखनऊ सुपरजाइंट्स की तरफ से खेलते हुए दोनों में मैदान पर काफी घनिष्ठता दिखी। दीपक हुड्डा ने एक इंटरव्यू में बताया कि मैं और कुणाल भाई की तरह है और भाइयों में लड़ाई होती रहती है। इसको देखकर यह लगा कि आईपीएल ने दो खिलाड़ियों को वापस दोस्त बना दिया। इससे बढ़िया क्या हो सकता था। टूर्नामेंट के दौरान पहले हाफ तक चीजें सामान्य रही, लेकिन दूसरे हाफ में आते आते हमें लगातार कुछ ना कुछ ऐसा देखने को मिल रहा है जो बिल्कुल सही नहीं है। पहले ऋषभ पंत का बच्चों वाली हरकत करते हुए खिलाड़ियों को वापस बुलाने का फैसला करना, वह भी सिर्फ एक करीबी नो बॉल के फैसले के चलते उनके विवेक पर सवाल उठाता है।
इसके बाद अब युवा रियान पराग से हर्षल पटेल का तू तू मैं मैं करना और मोहम्मद सिराज का भी इस विवाद में शामिल होना – पांड्या और दीपक हुड्डा वाले मामले का बिल्कुल उल्टा साबित हुआ। वीडियो में देखा गया कि पराग जा रहे थे और पीछे से उन्होंने कुछ सुना और वह जाकर लड़ने झगड़ने लगे हर्षल पटेल ने उनको कुछ कहा और सिराज भी उनसे भिड़ने लगे। किसकी गलती कितनी थी है तो पता नहीं चल सका। लेकिन मैच के अंत में जब रियान पराग ने इस बात को मैच में ही खत्म करते हुए हर्षल पटेल से हाथ मिलाना चाहा तो हर्षल पटेल ने उनसे हाथ नहीं मिलाया और आगे बढ़ गए। दो भारतीय खिलाड़ियों का इस तरह से व्यवहार करना आईपीएल में पहली बार नहीं हो रहा है। हरभजन सिंह और श्रीसंत के थप्पड़ वाले कांड से लेकर विराट कोहली प्रदीप सांगवान और गौतम गंभीर की झड़प तक ऐसे मौके कई बार आए हैं। एक वरिष्ठ और एक युवा खिलाड़ी के बीच यह पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले 2017 में जब 18 साल के इशान किशन गुजरात से खेल रहे थे, तब विराट कोहली ने उनको कुछ अपशब्द कहे थे।
हालांकि किशन ने शांति से सब कुछ सुना और श्रीनाथ अरविंद की अगली गेंद पर छक्का जड़ दिया। इस मौके पर 20 वर्षीय रियान पराग ने पलट कर जवाब दिया और मामला गरमा गया। ऋषभ पंत का वाकया हो या फिर पराग और पटेल का – हर बार बोला जाता है कि मैच के समय सीट ऑफ द मोमेंट में यह सब हो जाता है, इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। लेकिन सवाल उठता है कि हीट ऑफ द मोमेंट के नाम पर जो हो रहा है वह कितनी हद तक सही है। ऋषभ पंत का मामला हो या हर्षल पटेल का खिलाड़ियों का जबरदस्त बचाव किया जा रहा है।
खिलाड़ी भी अपने कामों के लिए बहुत ज्यादा पछतावे में नहीं दिख रहे हैं। जो कुछ हुआ उसके बाद भी ऋषभ पंत इस बात पर अड़े रहे कि अंपायर का फैसला गलत था और टीम के साथ बहुत अन्याय हुआ। लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि कुछ साल पहले तो डीआरएस नहीं था और बैट पर गेंद लगने के बावजूद बल्लेबाज एलबीडब्ल्यू आउट दे दिए जाते थे।यही नहीं जिस तरह से आईपीएल का स्ट्रक्चर है, एक समय सीमा मैच की होती है जिसमें मैच को खत्म करना होता है। अंपायर के लिए विकेट गिरने पर नो बॉल चेक करना तो पॉसिबल है बल्लेबाज के पवेलियन लौटने तक में इतना समय होता है।पर नॉर्मल समय में जब उसे यह लग रहा है कि यह नो बॉल नहीं है तो वह चेक नहीं करेगा। जो करीबी मामले होते हैं वह पहले भी किसी एक टीम के लिए फायदा का 14 बने हैं और किसी टीम के लिए घाटे का। इसमें कुछ नया नहीं है और हर मैच में ऐसे फैसले देखने को मिलते हैं क्योंकि हर बार तो करीबी वाइड गेंद भी होती है। अंपायर अगर ऐसे चेक करें तो मैच 4 घंटे नहीं 5 घंटे तक चल जाए।
हषर्ल पटेल के मामले की बात करें तो रियान पराग को बोलना चाहिए था या ना बोलना चाहिए था यह एक चर्चा का विषय जरूर हो सकता है। हर्षल पटेल उनसे सीनियर है और बात बढ़ाने से विवाद बढ़ता है। हालांकि सीनियर होने का मतलब यह नहीं है कि आप को रन पड़े और आप बल्लेबाज से भीड़ जाए वह भी तब जब वह युवा खिलाड़ी हो।युवा खिलाड़ी ने प्रदर्शन किया तो उसको आपको अप्रिशिएट करना चाहिए क्योंकि आख़िर में वह भारतीय टीम का हिस्सा बनेगा और वह आपके देश का ही नागरिक है। लेकिन हीट ऑफ द मोमेंट के नाम पर ऐसे अवसरों को यूं ही छोड़ दिया जाता है या फिर नाम मात्र के जुर्माने लगा दिए जाते हैं।हर्षल पटेल ने इससे पहले 2021 में भी रियान पराग को आउट करने के बाद आक्रमक प्रतिक्रिया दी थी। क्रिकेट एक जैंटलमैंस गेम है और अगर आईपीएल के दौरान इतनी हीट बढ़ जाती है कि आप अपने देश के ही खिलाड़ी को ऐसा कुछ कहते हैं जो सुनने में सही ना हो तो यह आईपीएल किसी भी काम का नहीं है।
इतने वर्षों तक क्रिकेट खेलने के बाद भी खिलाड़ियों में संयम व विवेक की कमी दिखती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके खिलाड़ियों के लिए तो यह बेहद अशोभनीय है।हर्षल पटेल और रियान पराग कल को किसी एक टीम में हो सकते हैं। बात को भुलाकर मैच के बाद हाथ नहीं मिलाने के बाद उनमें आगे बात कैसे होगी ? ऋषभ पंत को लोग कप्तानी का दावेदार बता रहे हैं और उनका रवैया ऐसा रहा तो भारतीय टीम की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इमेज बनेगी। हीट ऑफ द मोमेंट बोलकर बचने से बढ़िया है कि खिलाड़ियों में अनुशासन के लिए कुछ सख्त कदम उठाए जाएं और उन्हें एहसास दिलाया जाए कि वह ऐसा कुछ करके बच कर निकल नहीं जाएंगे। चेन्नई जैसी टीमें तो शायद ही किसी युवा खिलाड़ी को मौका विगत कुछ वर्षों में दे पाई है। पिछले कुछ वर्षों से चेन्नई की टीम को देखें तो इसमें 9 से 10 अंतरराष्ट्रीय लेवल पर सालों तक खेलने वाले खिलाड़ी रहते थे और एकमात्र खिलाड़ी दीपक चाहर ही थे जिनको अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का ज्यादा अनुभव ना था। कुछ यही हाल मुंबई का था जिसमें कई सारे हालांकि उसने पिछले कुछ सालों में युवा खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया और हार्दिक पांड्या कुणाल पांड्या जसप्रीत बुमराह और ईशान किशन जैसे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तैयार किया।
अगर यह कोई अन्य सीजन रहता तो शायद इन खिलाड़ियों को एक भी मौका नहीं मिलता क्योंकि प्रचुर मात्रा में विदेशी खिलाड़ी भरे रहते और हर टीमों के पास बैकअप में भी विदेशी खिलाड़ी रहते।लेकिन विदेशी और इंटरनेशनल भारतीय खिलाड़ियों की कमी के कारण मिले मौके में ,अपने प्रदर्शन के दम पर इन्होंने अपनी अपनी टीमों में जगह पक्की कर ली है।मुंबई की टीम केवल 2 विदेशी खिलाड़ियों के साथ उतरी, क्योंकि युवा भारतीय खिलाड़ी उनसे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। शुरू में कई सारी टीमों को केवल 3 विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलते देखा गया है.